मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि उत्तरायणी जनकल्याण समिति द्वारा दिनांक 09 से 11 जनवरी, 2025 तक बरेली में 29वां उत्तरायणी मेला आयोजित किया जा रहा है।
समाज व क्षेत्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, कला एवं साहित्य सम्बन्धी विरासत के संरक्षण तथा संवर्धन में मेले और महोत्सवों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संस्कृति, साहित्य, कला व शिल्प आदि के प्रदर्शन, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से उत्तरायणी मेला का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है।
जनपद बरेली में उत्तरायणी मेला का आयोजन उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड राज्यों की साझा विरासत और संस्कृति को विस्तार देने वाला आयोजन भी है। मुझे आशा है कि आयोजन में समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी से सामाजिक समरसता एवं सौहार्द में वृद्धि होगी ।
उत्तरायणी मेला के सफल आयोजन हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि उत्तरायणी जनकल्याण समिति द्वारा दिनांक 09 से 11 जनवरी, 2025 तक बरेली में 29वां उत्तरायणी मेला आयोजित किया जा रहा है।
समाज व क्षेत्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, कला एवं साहित्य सम्बन्धी विरासत के संरक्षण तथा संवर्धन में मेले और महोत्सवों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संस्कृति, साहित्य, कला व शिल्प आदि के प्रदर्शन, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से उत्तरायणी मेला का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है।
जनपद बरेली में उत्तरायणी मेला का आयोजन उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड राज्यों की साझा विरासत और संस्कृति को विस्तार देने वाला आयोजन भी है। मुझे आशा है कि आयोजन में समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी से सामाजिक समरसता एवं सौहार्द में वृद्धि होगी ।
उत्तरायणी मेला के सफल आयोजन हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि उत्तरायणी जनकल्याण समिति द्वारा दिनांक 09 से 11 जनवरी, 2025 तक बरेली में 29वां उत्तरायणी मेला आयोजित किया जा रहा है।
समाज व क्षेत्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, कला एवं साहित्य सम्बन्धी विरासत के संरक्षण तथा संवर्धन में मेले और महोत्सवों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संस्कृति, साहित्य, कला व शिल्प आदि के प्रदर्शन, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से उत्तरायणी मेला का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है।
जनपद बरेली में उत्तरायणी मेला का आयोजन उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड राज्यों की साझा विरासत और संस्कृति को विस्तार देने वाला आयोजन भी है। मुझे आशा है कि आयोजन में समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी से सामाजिक समरसता एवं सौहार्द में वृद्धि होगी ।
उत्तरायणी मेला के सफल आयोजन हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
बरेली शहर में उत्तराखण्ड शोध संस्थान के बैंनर तले एक विचार कौंधा और विचार समस्त पर्वतीयों को एक छत पर लाने का प्रयास उस प्रयास के बीजारोपण का कार्य डा पी.सी. सनवाल जी, श्री अरविन्द बेलवाल जी, श्री पी.एस. बोरा जी, श्री प्रकाश चन्द्र जोशी, श्री अम्बा दत्त जोशी, श्री यू.डी. बैला जी, श्री डी.डी. पाण्डेय के मन में कौधा और उत्तरायणी पर्व मनाने का प्रयास किया गया। सर्वप्रथम संजय कम्प्यूनिटी हॉल में तीन घंटे का मेला आयोजित किया गया|
बरेली शहर में उत्तराखण्ड शोध संस्थान के बैंनर तले एक विचार कौंधा और विचार समस्त पर्वतीयों को एक छत पर लाने का प्रयास उस प्रयास के बीजारोपण का कार्य डा पी.सी. सनवाल जी, श्री अरविन्द बेलवाल जी, श्री पी.एस. बोरा जी, श्री प्रकाश चन्द्र जोशी, श्री अम्बा दत्त जोशी
—- अमित
कुमार पन्त (अध्यक्ष)
उत्तरायणी मेला बरेली
बरेली शहर में उत्तराखण्ड शोध संस्थान के बैंनर तले एक विचार कौंधा और विचार समस्त पर्वतीयों को एक छत पर लाने का प्रयास उस प्रयास के बीजारोपण का कार्य डा पी.सी. सनवाल जी, श्री अरविन्द बेलवाल जी, श्री पी.एस. बोरा जी, श्री प्रकाश चन्द्र जोशी, श्री अम्बा दत्त जोशी
उत्तरायणी मेला बरेली
बरेली शहर में उत्तराखण्ड शोध संस्थान के बैंनर तले एक विचार कौंधा और विचार समस्त पर्वतीयों को एक छत पर लाने का प्रयास उस प्रयास के बीजारोपण का कार्य डा पी.सी. सनवाल जी, श्री अरविन्द बेलवाल जी, श्री पी.एस. बोरा जी, श्री प्रकाश चन्द्र जोशी, श्री अम्बा दत्त जोशी
देवभूमि उत्तराखण्ड के आँगन बरेली महानगर में विगत 28 वर्षों से” मकर संक्रान्ति” के पावन पर्व पर उत्तराखण्ड समुदाय द्वारा आयोजित धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर “ उत्तरायणी मेला” महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है| हमारा उद्देश्य विभिन्न प्रतिष्ठानो, संस्थानों, स्वदेशी लघु उद्योगों, शिल्पियों, हस्त कलाओं, पर्वतीय जड़ी बूटियों आदि को आम जन मानस के आकर्षण का केन्द्र बनाने एवं उनका प्रचार प्रसार करना है ।